एक बार फिर आया, पितरों को मनाने का मौसम।। एक बार फिर आया, पितरों को मनाने का मौसम।।
कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का।। हँसी खुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अदाई का। कन्यादान हुआ जब पूरा, आया समय विदाई का।। हँसी खुशी सब काम हुआ था, सारी रस्म अ...
गहराती जा रही है रात, बात कर लें। शिकवे जो रहे गुस्ताख, राख कर लें। गहराती जा रही है रात, बात कर लें। शिकवे जो रहे गुस्ताख, राख कर लें।
इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और अपने अंतरमन के विचा... इस कविता में मैंने वर्षा ऋतु का स्वागत अलग अलग लोगों द्वारा कैसे किया जाता है और...
श्रमदान और कर्मदान की तुम ही जीवित मूरत हो। श्रमदान और कर्मदान की तुम ही जीवित मूरत हो।
दहेज के कारण न जाने और कितनी लड़कियों की बलि चढ़ेगी। दहेज के कारण न जाने और कितनी लड़कियों की बलि चढ़ेगी।